SC की टिप्पणी: पैरेंट्स की कस्टडी में है अगर बेटी तो इसे अवैध हिरासत नहीं कह सकते
Kapil Chauhan
News EditorImage Credit: Shortpedia
केरल के 52 वर्षीय आध्यात्मिक गुरू अपनी 25 वर्षीय लिव-इन-पार्टनर को उसके पैरेंट्स की कस्टडी से आजाद कराना चाहते थे, इस सम्बन्ध में दायर उनकी याचिका को सुप्रीम कोर्ट ने ये कहकर खारिज कर दिया कि कोई बेटी अपने माता-पिता के पास है तो उसे हमेशा अवैध हिरासत में नहीं कहा जा सकता। इससे पहले हाईकोर्ट ने आध्यात्मिक गुरु की याचिका यह कहकर खारिज कर दी थी कि लड़की की मानसिक स्थिति ठीक नहीं है।