फिल्म चश्मे बद्दूर की डायरेक्टर ने लिख दी थी 8 साल की उम्र में पहली किताब
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आर्ट सिनेमा की शान और अपने डायरेक्शन से फिल्मों में जान डालने वाली सईं परांजपे बचपन से ही होनहार थी. उन्होंने 8 वर्ष की उम्र में अपनी पहली मराठी भाषी किताब लिख डाली थी. किताब का नाम 'मुलांचा मेवा' था. बेहतरीन सिनेमा देने के लिए बॉलीवुड उन्हें आज भी याद करता है. उनकी फिल्म चश्मे बद्दूर बॉलीवुड की बेहतरीन कॉमेडी फिल्मों में गिनी जाती है. उनकी फिल्म स्पर्श,कथा और दिशा में सीरियल सिनेमा की झलक देखने को मिलती है. आज उनका जन्मदिन है.