कबाड़ के भाव में बिकीं संविधान छापने वाली मशीन, 100 साल पहले हुआ था निर्माण
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पहली बार भारतीय संविधान छापने वाली दो लिथोग्राफ मशीनें अब कबाड़ के भाव में बिकीं। करीब 100 साल पहले सॉव्रिन और मोनार्क नामक इन दोनों प्रिंटिंग मशीन के मॉडल का निर्माण क्रैबट्री कंपनी ने किया था। सर्वे ऑफ इंडिया के अधिकारियों के मुताबिक, दोनों मशीनों को पिछले साल स्क्रैप डीलर को करीब डेढ़ लाख रुपए में बेच दिया गया था। संविधान की एक प्रति अभी-भी अधिकारियों के पास सुरक्षित है।