भावनाओं के आदान-प्रदान के बगैर विवाह महज एक कानूनी बंधन: दिल्ली हाईकोर्ट
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'भावनाओं के आदान-प्रदान के बगैर विवाह महज एक कानूनी बंधन है। विवाह का उद्देश्य दो आत्माओं को एक साथ लाना है, जो जीवन नामक साहसिक यात्रा पर निकलते हैं। पति-पत्नी को कानूनी बंधन से बांधे रखना उनसे पूर्ण जीवन जीने का मौका छीन लेना होगा।' ये टिप्पणी दिल्ली हाईकोर्ट ने एक तलाक को मंजूर करते हुए की। इस दौरान दिल्ली हाईकोर्ट ने फैमिली कोर्ट के तलाक को मंजूर नहीं करने के फैसले को रद्द किया।