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सुप्रीम कोर्ट के निर्देश: धोखाधड़ी की आशंका पर ही हो सकती है जाति प्रमाण-पत्र की जांच

Kapil Chauhan

News Editor
Image Credit: Shortpedia

सुप्रीम कोर्ट ने हालिया कहा कि अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के लोगों के जाति प्रमाण-पत्र की बार-बार पड़ताल करना उनके लिए हानिकारक होगा। उनके पक्ष में जारी होने वाले जाति प्रमाण-पत्र को जांच समिति द्वारा एक बार में ही सत्यापित माना जाना चाहिए। जाति प्रमाण-पत्र की जांच को तभी दोबारा खोला जाना चाहिए, जब धोखाधड़ी की आशंका हो या जब उन्हें उचित जांच के बिना जारी किया गया हो।